Tuesday, December 23, 2008

दीवानापन

दीवानापन

कि कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसा हूँ तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
कि मोहब्बत एक एहसासों कि पावन सी कहानी है,
कभी कवीर दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सुब लोग कहते है तेरी आँखों में आंसू है ,
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है
समंदर पीर के अंदरहै लेकिन वो रो नही सकता ,
ये आंसू प्यार का मोती है इसको खो नही सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले ,
जो मेरा हो नही पाया वो तेरा हो नही सकता
भंवर कोई कुमुदनी पैर मचल बैठा तो हंगामा ,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का ,
मै किस्से को मोहब्बत में बदल बैठा तो हंगामा
आपका
Alok Raj

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