Saturday, December 20, 2008



सुर्ख गुलाब की महक है दोस्ती,


सदा हँसने हँसाने वाला पल है दोस्ती,


दुखों के सागर में एक कश्ती है दोस्ती,


काँटों के दामन में महकता फूल है दोस्ती,


जिंदगी भर साथ निभाने वाला रिश्ता है दोस्ती,


रिश्तों की नाजुकता समझाती है दोस्ती,


रिश्तों में विश्वास दिलाती है दोस्ती,


तन्हाई में सहारा है दोस्ती,


मझधार में किनारा है दोस्ती,


जिंदगी भर जीवन में महकती है दोस्ती,


किसी-किसी के नसीब में आती है दोस्ती,


हर खुशी हर गम का सहारा है दोस्ती,


हर आँख में बसने वाला नजारा है दोस्ती,


कमी है इस जमीं पर पूजने वालों की,


वरना इस जमीं पर "Bhagwan" है दोस्ती |

3 comments:

  1. बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  2. bahut khub likha hai aapne dosti ke uppar...

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