Wednesday, December 17, 2008

क्या क्या हो गया है





क्या क्या हो गया है


kya kahoon क्या हो गया है, तुम गई जब से



मेरा सब कुछ खो गया है



चांद कतराता है मेरी छत पर आने से,



अब नही आता है सावन भी बुलाने से



फूल कांटे बो गया है तुम गए हो जब से



मेरा सब कुछ खो गया है



अब समुंदर में कभी लहरें नही आती



कोयले मेरी मुंडेर पर अब नही गाती



आइना चुप हो गया है तुम गए हो जब से



मेरा सब कुछ खो गया है



पाँव चलते है मगर मंजिल नही मिलती



आंखे रोती है मगर शबनम नही गिरती



रास्ता भी खो गया है तुम गए हो जब से



मेरा सब कुछ खो गया है तब से



( आलोक )

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